Advertisement

सवालों-आलोचनाओं के बावजूद रूस कर रहा है कोरोना वैक्सीन बनाने का काम

रूस एक तरफ सबसे पहली कोरोना वायरस वैक्सीन बनाने का दावा कर रहा है वहीं, विश्व स्वास्थ्य संगठन ने रूस के दावों पर न सिर्फ सवाल खड़ा किया है बल्कि यह भी कहा है रूस की वैक्सीन उन 9 दावेदारों में से नहीं है जिन्हें विश्व स्वास्थ्य संगठन ने मान्यता दी है.

कोरोना वैक्सीन पर चल रहा है काम (फोटो: AP/PTI) कोरोना वैक्सीन पर चल रहा है काम (फोटो: AP/PTI)
आशुतोष मिश्रा
  • नई दिल्ली,
  • 17 अगस्त 2020,
  • अपडेटेड 7:31 PM IST

  • रूस के स्वास्थ्य मंत्रालय ने इस कोरोना वैक्सीन को मान्यता भी दे दी है
  • गामेल्या रिसर्च सेंटर में बनी इस दवा को नाम दिया गया है स्पुतनिक- 5

रूस ने घोषणा कर दी है कि कोरोना वायरस से निपटने के लिए उसने वैक्सीन तैयार कर ली है. खुद राष्ट्रपति पुतिन ने 11 अगस्त को इसका ऐलान किया और साथ ही रूस के स्वास्थ्य मंत्रालय ने इस वैक्सीन को मान्यता भी दे दी. मॉस्को के गामेल्या रिसर्च सेंटर में बनाई गई इस दवा को नाम दिया गया है स्पुतनिक- 5.

Advertisement

यहां तक कि खुद राष्ट्रपति की बेटी को इस वैक्सीन का डोज दिया गया जिसके बाद उनके स्वास्थ्य में सुधार देखने को मिला. रूस के उप-प्रधानमंत्री तात्याना गोलीगोवा के मुताबिक, सितंबर से बड़ी तादाद में इस वैक्सीन का उत्पादन शुरू होगा जो सबसे पहले स्वास्थ्य कर्मचारियों को दिया जाएगा. अगले साल जनवरी से रूस इस वैक्सीन का बड़े पैमाने पर उत्पादन करेगा. हालांकि इस बीच चीन में दवाइयों का निर्माण करने वाली कैंसिनो बायोलॉजिक्स कंपनी ने भी बीजिंग से कोविड-19 वैक्सीन के लिए मान्यता ले ली है.

वैक्सीन से हो रहा है फायदा?

सऊदी अरब इसी महीने कोरोना वैक्सीन का तीसरे चरण का ट्रायल शुरू करने जा रहा है. रूस के सरकारी वित्तीय संस्थान रशियन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट फंड यानी आरडीआईएफ ने मॉस्को के गामेल्या के नेशनल रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ एपिडेमियोलॉजी एंड माइक्रोबायोलॉजी ने वेबसाइट लॉन्च करते हुए रिसर्च से जुड़ी तमाम जानकारियां सार्वजनिक की हैं. आरडीआईएएस ने कई विदेशी संस्थानों को भी स्पूतनिक फाइव के क्लीनिकल ट्रायल और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रोडक्शन के लिए न्योता दिया है.

Advertisement

देश-दुनिया के किस हिस्से में कितना है कोरोना का कहर? यहां क्लिक कर देखें

1 अगस्त तक स्पुतनिक 5 वैक्सीन का दो चरण का ट्रायल पूरा किया जा चुका है. गामेल्या इंस्टिट्यूट का दावा है कि इस वैक्सीन से शरीर में एक मजबूत एंटीबॉडी और सेल्यूलर इम्यून क्षमता विकसित हुई है. रूस की न्यूज एजेंसी स्पुतनिक से बात करते हुए गामेलिया सेंटर के डिप्टी रिसर्च डायरेक्टर का कहना है कि हमने क्लिनिकल ट्रायल में सभी सावधानियां बरतते हुए इसकी क्षमता और सुरक्षा पर पूरा ध्यान दिया. साथ ही हर चरण के ट्रायल में गुणवत्ता पर नजर बनाए रखी गई.

रूस एक तरफ सबसे पहली कोरोना वायरस वैक्सीन बनाने का दावा कर रहा है वहीं, विश्व स्वास्थ्य संगठन ने रूस के दावों पर न सिर्फ सवाल खड़ा किया है बल्कि यह भी कहा है कि रूस की वैक्सीन उन 9 दावेदारों में से नहीं है जिन्हें विश्व स्वास्थ्य संगठन ने मान्यता दी है.

डब्ल्यूएचओ के डायरेक्टर जनरल के सलाहकार डॉक्टर ब्रूस आयलवार्ड का कहना है कि कुल में 9 ऐसे दावेदार हैं जो फिलहाल दूसरे और तीसरे चरण का ट्रायल कर रहे हैं जिसमें रूस की वैक्सीन शामिल नहीं है. हालांकि डब्ल्यूएचओ भी रूस के साथ इस वैक्सीन की तमाम जानकारियों पर न सिर्फ नजर बनाए हुए हैं बल्कि ट्रायल पर तमाम जानकारियां भी इकट्ठा कर रहा है.

Advertisement

कोरोना कमांडोज़ का हौसला बढ़ाएं और उन्हें शुक्रिया कहें...

डब्ल्यूएचओ ने इस वायरस के खिलाफ वैक्सीन तैयार करने के लिए कोवाक्स ग्लोबल वैक्सीन फैसिलिटी तैयार की है जो दुनिया की 70 फीसदी आबादी का प्रतिनिधित्व करती है. आईएमएफ के मुताबिक, पूरी दुनिया को इस महामारी के चलते 375 बिलियन डॉलर का नुकसान हुआ है. अगले 2 सालों में यह नुकसान 12 ट्रिलियन डॉलर का हो सकता है.

सवालों के घेरे में रूस की कोरोना वैक्सीन

पश्चिमी देशों ने और दूसरी कई संस्थाओं ने रूस के इस वैक्सीन पर सवालिया निशान खड़े किए हैं. फिलहाल रूस इन आलोचनाओं और सवालों को दरकिनार करके वैक्सीन के निर्माण में आगे बढ़ रहा है. मॉस्को में रहने वाले एनालिस्ट डिमित्री बाबीचच ने आजतक से बातचीत करते हुए कहा, भले ही स्पुतनिक 5 का ट्रायल पूरा न हुआ हो लेकिन इसे मान्यता दे दी गई है लेकिन साथ ही विशेषज्ञों का कहना है कि यह दवा खतरनाक नहीं है.

डिमित्री का यह भी कहना है कि रूस को अपने देश के भीतर इस दवा की खपत के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुमति की जरूरत नहीं है. पश्चिमी देशों की आलोचनाओं पर बात करते हुए दिमित्री का कहना है कि कई बड़ी फार्मा कंपनियां खतरे को देखकर सवाल खड़ा कर रही हैं लेकिन रूस ने भी एक बिलियन डॉलर खर्च किया है और रूस की कोशिश है कि हर जरूरतमंद तक यह दवा पहुंच सके.

Advertisement

राष्ट्रपति की बेटी को ये वैक्सीन दी गई

मॉस्को में काम करने वाले भारतीय पत्रकार विनय शुक्ला ने आजतक से बातचीत करते हुए कहा कि इन सवालों और शंकाओं के कई पहलू हैं लेकिन इंस्टीट्यूट ने इस वैक्सीन को अंतरराष्ट्रीय ब्रांड बनाने की कोशिश की है. भले ही कुछ लोग इस पर शंका खड़े कर रहे हों लेकिन जिन विशेषज्ञों से मैंने बात की है उनका कहना है कि स्पुतनिक- 5 में वह तमाम क्षमताएं हैं जो कोरोना वायरस महामारी से लड़ सकता है. शुक्ला का कहना है कि इसका सबसे बड़ा सबूत है कि खुद राष्ट्रपति की बेटी को यह वैक्सीन दी गई.

कोरोना पर फुल कवरेज के लि‍ए यहां क्ल‍िक करें

जाहिर है जिस तरह पूरी दुनिया की नजरें इस समय मॉस्को पर हैं वहीं नई दिल्ली भी इसके तमाम पहलुओं पर नजर बनाए हुए है. मॉस्को में भारत के राजदूत डीबी वेंकटेश वर्मा द्वारा दिए गए एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा है कि भारत और रूस के बीच संबंध बेहद गहरे हैं साथ ही दोनों देशों के बीच फार्मासिस्ट सेक्टर में भी अच्छा समझौता है. ऐसे में भारत रूस में बनने वाली इस वैक्सीन पर नजर बनाए हुए है. लेकिन भारत समानांतर इस राह पर चल रहा है तो हो सकता है कि आने वाले समय में दोनों ही देश इस पर कामयाबी पाएं और आगे चलकर एक नया संबंध स्थापित हो.

Advertisement

कुल मिलाकर कहानी इतनी है कि दुनिया चाहे जितना रूस पर सवाल उठाए फिलहाल वह इन सवालों और शंकाओं से आगे बढ़कर अपनी वैक्सीन बनाने की प्रक्रिया में लगातार कदम आगे बढ़ा रहा है.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement